मंगलवार, 21 सितंबर 2021

पितृपक्ष यानी पितरों की पूजा का श्राद्ध कर्म 21 सितम्बर से शुरू

पितृपक्ष यानी पितरों की पूजा का श्राद्ध कर्म 21 सितम्बर से शुरू
पितृपक्ष यानी पितरों की पूजा का पक्ष 21 सितम्बर 2021 से शुरू हो चुके हैं। पितृपक्ष में पितरों का ध्यान और तर्पण विधि की जाती है, जिनकी वजह से हम इस दुनिया में हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृगण देवताओं के समान ही आशीर्वाद और श्राप देने की क्षमता रखते हैं। इनकी प्रसन्नता से परिवार में उन्नति और सफलता आती है और नाराजगी से परिवार में कोई न कोई परेशानी बनी रहती है। पितृ पक्ष का अंतिम श्राद्ध 6 अक्‍टूबर 2021 को होगा। इसमें किसी भी पक्ष में जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनके नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोज करवाया जाता है, जबकि पूरे पितृपक्ष में उनके नाम का जल दिया जाता है।

जियत पिता से दंगम दंगा, मरे पिता पहुचाये गंगा,
जियत पिता की न पूछी बात,मरे पिता को खीर और भात,
जियत पिता को घूंसे लात,मरे पिता को श्राद्ध करात,
जियत पिता को डंडा लठिया, मरे पिता को तोसक तकिया,
जियत पिता को कछु न मान, मरत पिता की पिंडा दान।।
माटी का एक नाग बना के, पुजे लोग लुगाया,
जिंदा नाग जब घर में निकले, ले लाठी धमकाया,
जिंदा बाप कोई न पूजे, मरे बाद पुजवाया,
मुठ्ठीभर चावल ले के कौवे को बाप बनाया,
यह दुनिया कितनी बावरी है, जो पत्थर पूजे जाए,
घर की चकिया कोई न पूजे, जिसका पीसा खाए.

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