मंगलवार, 28 सितंबर 2021

जितिया पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।।।

जितिया पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।।।
आज है नहाय-खाय 💙
जीवित्पुत्रिका व्रत यानी जिउतिया पर्व या जितिया पर्व । 

स्पेशल मरुआ का रोटी,नूनी का साग,झिगनी का सब्जी आदि खाया जाता इस पर्व में । कहीं कहीं छोटकी मछरी (मछली) भी खाने की परंपरा है । 

घियुरा के पत्ता पर दही,चुरा,करुआ तेल का भोग लगाया जाता है । इसे पुत्र की लंबी आयु के लिए किया जाता है. कई विवाहित महिलाएं इसे पुत्र प्राप्ति के लिए भी करती हैं...

जितिया एक त्योहार है जिसमें निर्जला (बिना पानी के) उपवास पूरे दिन किया जाता है और माताओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई के लिए मनाया जाता है। बिक्रम संवत के आश्विन माह में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन-दिवसीय त्योहार मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से नेपाल एवम मिथिलांचल तथा भारतीय राज्यों बिहार , झारखंड , उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।
इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की मंगल कामना लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती हैं। यह व्रत 3 दिनों का होता है। सबसे खास बात ये है कि इस व्रत पूरी तरह से निर्जला होता है। इसमें पानी भी निषेध होता है। यहां तक की मुंह में पानी तक ले नहीं सकते हैं। यह व्रत अश्विन महीने की सप्तमी से नवमी तक किया जाता है।व्रत का पहला दिन यानि की नहाय-खाय
इस व्रत के पहले दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन महिलएं सुबह उठकर पूजा-पाठ करती हैं। साथ ही दिन में एक बार भोजन करती हैं और फिर पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती हैं। खाना भी अरवा होता है। प्याज, लहसुन और अन्य तरह की चीजों को इस भोजन में शामिल नहीं किया जाता है। इस भोजन के बाद से ही व्रत की शुरुआत होती है।इस व्रत को करने वाले व्रत शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले कुछ खा पी सकते हैं लेकिन सूर्योदय के बाद कुछ भी खाना-पीना मना हो जाता है। इसके बाद कुछ भी नहीं खा सकते हैं, यहां तक की पानी पीना भी वर्जित माना गया है। सूर्योदय से पहले जो आप खाना ग्रहण करेंगे उसमें सिर्फ मीठा होना चाहिए। खट्टा या तिखा खाना बिलकुल माना होता है। पारण के वक्त ही आप खा सकते हैं। पारण के बाद ये व्रत खत्म होता है। 


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